સોમવાર, 26 નવેમ્બર, 2012





इस सन्देश को जयादा से ज्यादा ओदिच्य सहस्त ब्राह्मण में फेलाया जाय 

के अपने एतिहासिक नगरी जहासे हम अपनी एक नई पहेचान मिली थी 

जिसका गर्व हर  ओदिच्य सहस्त ब्राह्मणको लेना चाहिए और अपने ही 

गावमे हम परदेशी है एषा भाव होता है इशिको मिटानेका हर संभव प्रयत्न 

है .और इसके उंदर आपका सहभागी होना अत्यंत जरुरी है।"साथी  हाथ 

बढ़ाना एक अकेला थक जायेगा मिल के बोज उठाना "तो ज्ञाति बंधू मेरी 

आपसे प्राथना है की आपका सहयोग मिले और जयादा से ज्यादा ये 

सन्देश अपने ज्ञाति बंधू तक पहोचावो 


मेरा तो फ़क्त प्रयाश है की येन केन प्रकारेण अपने औदिच्य सहस्त्र ब्राह्मण 

को अपने मादरे वतन मै एक स्थाई स्थापत्य कोई भी स्वरूप में एक 

ईमारत या मंदिर या तो कोई छात्रालय के कोई प्रकार का एक सीमा चिन्ह 

प्रस्थापित होना चाहिए जो हमने आज तक किया नहीं 60% ब्राह्मण को ये 

भी पता नहीं है की उसकी ओरिजन किया है .अब समाज में जागरूकता 

लाना अवश्य हो गया है .और मेरी एक इच्छा कई वर्षो से है की सिधपुर में 

एक ऐषा स्मारक बनाये जिससे आने वाली हर पेढ़ी को अपना मूल याद 

रख सके वहा जा सके और जो भी वहा जाये उसको अपने घर में आया है 

एषा अनुभूति होना चाहिए .में तो बहोत छोटा हु पर आप जिशे वडीलो के 

आशीर्वाद और गाइड लाइन से ये संबावित हो सकता है आपके कोंनटेक 

के जरिये और आपके सहयोग से ये संभव है .आपका आशीर्वाद चाहिए 

आपका घनश्याम जानी

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