સોમવાર, 11 ફેબ્રુઆરી, 2013

"ब्राह्मण के गोत्र के बारे मै जानकारी ओदिच्य..."Audichya Praksh Book"

प्रिय ज्ञाति बन्धु बारबार मे एक ही बात दोहराता हु औदिच्य सहस्त्र ब्राह्मण जो उत्तर भारत से रूद्र महालय की प्राण प्रतिस्ठा के लिए आये थे उनका अन्य धर्मो ( मुस्लिम और जैन ) का हावी हो जाने पर अपना वजूद तक सिद्धपुर मै न बनापाकर सिद्धपुर से पलायन हो कर देश और परदेश के अन्य भागो मै प्रस्थ्पित होने के लिए निकल पड़े .एक कहावत है .The rollyng stone neuer gatherth mosse.के हिशाब से आजभी बहोत दयनीय अवस्थामे विचरित जतिओ की तरह यहाँ से वहा भटकते रहे है .ये अपनी कमनशिबी है .पर समाज को संगठित होने पर ये नहीं होता .और संगठित होने के लिए एक स्थान की जरुरत है .आज 1000 से ऊपर हो गया हमारा कोई स्मारक नहीं है .की हम एक होके एक आवाज उठा सके .
आप के सहयोग से ही ये बन पायेगा मेरा इतना तो कोई कद नहीं है की ये काम कर सकू आप सभी ज्ञाति बन्धु आपका सहयोग दे और ये माध्यम के आलावा आपके रिश्तदारो मित्रो और जितने ज्ञाति बन्धुको पहेचानते हो उनको अनुरोध करे और अपना स्मारक का सपना साकार करने के लिए .जयादा से ज्यादा सहयोग दीजिये .औदिच्य सहस्त्र ब्राह्मण आज पूरी दुनिया मै इतनी संख्या मै है की एक एक ब्राह्मण सिर्फ 100 रुपियो का अनुदान दे तो सिद्धपुर में स्मारक ,गेस्ट हाउस और सभी कुलदेवी का मंदिर ,सभी महादेव ,सभी गणपति और सभी भेरव का निर्माण हो सके 
आपके दिलो मई थोड़ी सी will जगादो एक एक इटोसे पूरा महालय जगमगा उठेगा                                                
मेरा प्रयाश सार्थक है या निरथर्क महेरबानी करके आपका सुजाव दीजिये और आपकी गाइड लाइन भी मेरा विश्वास बढानेके लिए आवश्यक है नम्ह पार्वती पते हर हर महादेव हर .आपका घनश्याम जानी