શુક્રવાર, 23 નવેમ્બર, 2012

औदिच्य सहस्त्र ब्राह्मिन फौन्डेसन एक स्वप्न कभी तो साकार होगा .हम जब सिध्हपुर पाटन की घरती पर पाव रखते है तभी हमारे अन्दर रोम रोम से पुकार आती है ये मेरी मात्रु भूमि है जब हमारे परिवार का बसेरा यहाँ था और जब हमको वो छोड़ कर निकलना पड़ा वो समय कित्नेकी प्राण की आहुति  देनी पड़ी होगी उसके क्रियाकर्म भी पुरे करे थे के नहीं .
तब जो हो गया सो हो गया .पर आज हम सामर्थ्य हे की अपनी मात्रु  भूमि पर एक स्मारक चिन्ह रचित करे और जो जो औदिच्य ब्राह्मण जब जब  सिध्हपुर पाटन की घरती पर पाव रखेगा तब उनको उपना घर आया है उशिका एहेसास होगा।
इस मध्यम से मै  सभी औदिच्य सहस्त्र ब्राह्मिन भाई ओ से इस स्वप्न को साकार करने के लिए अपना मंतव्य दे .साकार न कर सके तो देख तो सकते हो जो कभी साकार हो सके ...........आपनो घनश्याम जानी 


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